*(Part 8)*
हेमदास झालावाड़ आवाज पत्रिका
7 संकट मोचन कबीर साहेब हैं:-- कर्म कष्ट (संकट) होने पर कोई अन्य ईष्ट देवता की या माता मसानी आदि की पूजा कभी नहीं करनी है। न किसी प्रकार की बुझा पड़वानी है। केवल बन्दी छोड़ कबीर साहिब को पूजना है जो सभी दुःखों को हरने वाले संकट मोचन हैं।
सामवेद संख्या न. 822 उतार्चिक अध्याय 3 खण्ड न. 5 श्लोक न. 8 (संत रामपाल दास द्वाराभाषा-भाष्य)ः-
मनीषिभिः पवते पूव्र्यः कविर्नभिर्यतः परि कोशां असिष्यदत्। त्रितस्य नाम जनयन्मधु क्षरन्निन्द्रस्य वायुं सख्याय वर्धयन्।।8।।
हिन्दी:-सनातन अर्थात् अविनाशी कबीर परमेश्वर हृदय से चाहने वाले श्रद्धा से भक्ति करने वाले भक्तात्मा को तीन मन्त्र उपेदश देकर पवित्रा करके जन्म व मृत्यु से रहित करता है तथा उसके प्राण अर्थात् जीवन-स्वांसों को जो संस्कारवश अपने मित्र अर्थात् भक्त के गिनती के डाले हुए होते हैं को अपने भण्डार से पूर्ण रूप से बढ़ाता है। जिस कारण से परमेश्वर के वास्तविक आनन्द को अपने आशीर्वाद प्रसाद से प्राप्त करवाता है।
कबीर, देवी देव ठाढे भये, हमको ठौर बताओ। जो मुझ(कबीर) को पूजैं नहीं, उनको लूटो खाओ।।
कबीर, काल जो पीसै पीसना, जोरा है पनिहार। ये दो असल मजूर हैं, सतगुरु के दरबार।।
8 अनावश्यक दान निषेध:-- कहीं पर और किसी को दान रूप में कुछ नहीं देना है। न पैसे, न बिना सिला हुआ कपड़ा आदि कुछ नहीं देना है। यदि कोई दान रूप में कुछ मांगने आए तो उसे खाना खिला दो, चाय, दूध, लस्सी, पानी आदि पिला दो परंतु देना कुछ भी नहीं है। न जाने वह भिक्षुक उस पैसे का क्या दुरूपयोग करे। जैसे एक व्यक्ति ने किसी भिखारी को उसकी झूठी कहानी जिसमें वह बता रहा था कि मेरे बच्चे ईलाज बिना तड़फ रहे हैं। कुछ पैसे देने की कृपा करें को सुनकर भावना वस होकर 100 रु दे दिए। वह भिखारी पहले पाव शराब पीता था उस दिन उसने आधा बोतल शराब पीया और अपनी पत्नी को पीट डाला। उसकी पत्नी ने बच्चों सहित आत्म हत्या कर ली। आप द्वारा किया हुआ वह दान उस परिवार के नाश का कारण बना। यदि आप चाहते हो कि ऐसे दुःखी व्यक्ति की मदद करें तो उसके बच्चों को डाॅक्टर से दवाई दिलवा दें, पैसा न दें।
कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान। गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, पूछो वेद पुरान।।
9 झूठा खाना निषेध:-- ऐसे व्यक्ति का झूठा नहीं खाना है जो शराब, मांस, तम्बाखु, अण्डा, बीयर, अफीम, गांजा आदि का सेवन करता हो।
10 सत्यलोक गमन (देहान्त) के बाद क्रिया-कर्म निषेध:-- यदि परिवार में किसी की मौत हो जाती है, चिता में अग्नि कोई भी दे सकता है, घर का या अन्य तथा अग्नि प्रज्वलित करते समय मंगलाचरण बोल दें। तो उसके फूल आदि कुछ नहीं उठाने हैं, यदि उस स्थान को साफ करना अनिवार्य है तो उन अस्थियों को उठाकर स्वयं ही किसी स्थान पर चलते पानी में बहा दें। उस समय मंगलाचरण उच्चारण कर दें। न पिंड आदि भरवाने हैं, न तेराहमी, छः माही, बरसोधी, पिंड भी नहीं भरवाने हैं तथा श्राद्ध आदि कुछ नहीं करना है। किसी भी अन्य व्यक्ति से हवन आदि नहीं करवाना है।
सम्बन्धी तथा रिश्तेदारों आदि जो शोक व्यक्त करने आए उनके लिए कोई भी एक दिन नियुक्त करें।
उस दिन प्रतिदिन करने वाला नित्य नियम करें, ज्योति जागत करें, फिर सर्व को खाना खिलाऐं।
यदि आपने उसके (मरने वाले के) नाम पर कुछ धर्म करना है तो अपने गुरुदेव जी की आज्ञा ले कर बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज की अमृतमयी वाणी का अखण्ड पाठ करवाना चाहिए। यदि पाठ करने की आज्ञा न मिले तो परिवार के उपदेशी भक्त चार दिन या सात दिन घर में एक अखण्ड जोत देशी घी की जलाऐ तथा ब्रह्म गायत्री मन्त्र प्रतिदिन चार बार करें तथा तीन या एक बार के मन्त्रा का दान संकल्प सतलोक वासी को करें। जैसा उचित समझे एक, दो, तीन तक मन्त्र के जाप का फल उसे दान करें। प्रतिदिन की तरह ज्योति व आरती, नाम स्मरण करते रहना है,
यह याद रखते हुए किः-
कबीर, साथी हमारे चले गए, हम भी चालन हार। कोए कागज में बाकी रह रही, ताते लाग रही वार।।
कबीर, देह पड़ी तो क्या हुआ, झूठा सभी पटीट। पक्षी उड़या आकाश कूं, चलता कर गया बीट।।
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हेमदास झालावाड़ ने बताया
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।