एनसीसी को स्काउट गाइड हो अनिवार्य शिक्षा में शामिल : सिंघवी

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छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में एनसीसी, स्काउट गाइड और खेल को अनिवार्य शिक्षा के रूप में लागू करने की सरकार से मांग की है। उन्होंने कहा कि 1988 में राष्ट्रीय कैडेट कोर का उद्देश्य निर्धारित हुआ था और यह कसौटी पर खरा उतरा है। देश की वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में भी अपेक्षित आवश्यकता को पूरा कर रहा है। एनसीसी, स्काउट गाइड और खेल का लक्ष्य युवाओं में चरित्रनिर्माण, अनुशासन, धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण, साहस की भावना के आदर्शों को विकसित करना है। इसके अलावा इसका उद्देश्य जीवन के सभी क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित करना है। विद्यालयों में एनसीसी, स्काउट गाइड, खेल को अनिवार्य शिक्षा के रूप में लागू करने से छात्र—छात्राओं के उज्जवल भविष्य का निर्माण हो सकेगा जो राष्ट्र की सेवा के काम आ सकेगा। राष्ट्रीय कैडेट कोर, स्काउट गाइड व खेल युवा भारतीयों को सशस्त्र बलों में शामिल होने एवं प्रेरित करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। सिंघवी ने कहा कि प्रदेश की सरकारी और निजी स्कूलों में अध्ययन करने वाले छात्र—छात्राओं को एनसीसी, स्काउट गाइड और खेलों की शिक्षा व सुविधा का अभाव होने के कारण सही प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है। सरकारी व निजी स्कूलों में बड़ी संख्या में गरीब वर्ग से जुड़े छात्र—छात्राएं पढ़ते हैं जो सेना, पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों और अन्य सशस्त्र सेनाओं में जाने की चाह रखते हैं लेकिन प्रदेश के स्कूलों में एनसीसी और स्काउट गाइड कोर्स संचालित नहीं होने के कारण छात्रों को सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि स्काउट गाइड, एनसीसी, खेल से राजस्थान के युवाओं का काफी जुड़ाव है। सरकारी नौकरियों में युवाओं को कैसे इनका लाभ मिले इस दिशा में सरकार को प्रदेश की स्कूलों में अनिवार्य शिक्षा लागू करने के प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश स्कूलों में खेल मैदान नहीं है। छात्र—छात्राओं को स्कूलों में जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वे सुविधाएं नहीं मिल रही है। अधिकतर स्कूलों के मैदान पर अतिक्रमियों ने अवैध कब्जे कर रखे है। शिक्षा किसी भी विद्यार्थी की नींव होती है। यदि शिक्षा रूपी भवन की नींव ही कमजोर होगी तो उस पर बनने वाला ज्ञान का प्रासाद कितना कमजोर होगा, इसकी स्वतः कल्पना की जा सकती है। अतएव यदि राजस्थान के अंचल में ज्ञान की ज्योति जलानी है तथा मेधावी विद्यार्थी तैयार करने हैं तो हमें शिक्षा की नींव को सुदृढ़ करना ही होगा।

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