*”संत रामपाल जी महाराज के समर्थन में अन्य भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियाँ“*
1 इंग्लैण्ड के ज्योतिषी ‘कीरो’ ने सन् 1925 में लिखी पुस्तक में भविष्यवाणी की है, बीसवीं सदी अर्थात् सन् 2000 ई. के उत्तरार्द्ध में (सन् 1950 के पश्चात् उत्पन्न सन्त) ही विश्व में ‘एक नई सभ्यता’ लाएगा जो सम्पूर्ण विश्व में फैल जावेगी। भारत का वह एक व्यक्ति सारे संसार में ज्ञानक्रांति ला देगा। 2 अमेरिका के ‘‘श्री एण्डरसन’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21 वीं सदी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता का नंगा तांडव होगा। इस बीच भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और झण्डा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा सन् 1999 तक विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षों के लिए धर्म व सुख-शांति भर देगा। 3 अमेरिका के भविष्वक्ता ‘‘श्री चाल्र्स क्लार्क’’ के अनुसार 20 वीं सदी के अन्त से पहले एक देश विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड़ देगा परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी, जिसे पूरा विश्व अपना लेगा, यह धार्मिक क्रांति 21 वीं सदी के प्रथम दशक में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित करेगी और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।
4हंगरी की महिला ज्योतिषी ‘‘बोरिस्का’’ के अनुसार सन् 2000 ई. से पहले-पहले उग्र परिस्थितियों हत्या और लूटमार के बीच ही मानवीय सद्गुणों का विकास एक भारतीय फरिश्ते के द्वारा भौतिकवाद से सफल संघर्ष के फलस्वरूप होगा, जो चिरस्थाई रहेगा, इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बड़ी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुयायी बनकर भौतिकवाद को आध्यात्मिकता में बदल देगें।
5 फ्रांस के डाॅ. जूलर्वन के अनुसार सन् 1990 के बाद योरोपीय देश भारत की धार्मिक सभ्यता की ओर तेजी से झूकेंगे। सन् 2000 तक विश्व की आबादी 640 करोड़ के आस-पास होगी। भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रांति नास्तिकता का नाश करके आँधी तूफान की तरह सम्पूर्ण विश्व को ढक लेगी। उस भारतीय महान आध्यात्मिक व्यक्ति के अनुयाई देखते-देखते एक संस्था के रूप में ‘आत्मशक्ति’ से सम्पूर्ण विश्व पर प्रभाव जमा लेंगे। 6 इजरायल के प्रो.हरार के अनुसार भारत देश का एक दिव्य महापुरूष मानवतावादी विचारों से सन् 2000 ई. से पहले-पहले आध्यात्मिक क्रांति की जड़े मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उनके विचार सुनने को बाध्य होना पड़ेगा। भारत के अधिकतर राज्यों में राष्ट्रपति शासन होगा, पर बाद में नेतत्व धर्मनिष्ठ वीर लोगों पर होगा। जो एक धार्मिक संगठन के आश्रित होगें। 7 नार्वे के श्री आनन्दाचार्य की भविष्यवाणी के अनुसार, सन् 1998 के बाद एक शक्तिशाली धार्मिक संस्था भारत में प्रकाश में आवेगी, जिसके स्वामी एक गृहस्थ व्यक्ति की आचार संहिता का पालन सम्पूर्ण विश्व करेगा। धीरे-धीरे भारत औद्योगिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से विश्व का नेतत्व करेगा और उसका विज्ञान (आध्यात्मिक तत्वज्ञान) ही पूरे विश्व को मान्य होगा। उपरोक्त भविष्यवाणियों के अनुसार ही आज विश्व में घटनाएँ घट रही हैं। युग परिवर्तन प्रकति का अटल सिद्धांत है। वैदिक दर्शन के अनुसार चार युगों- सतयुग,त्रोतायुग, द्वापर और कलयुग की व्यवस्था है। जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर मानव रूप में प्रकट होता है।
अधिक जानकारी के लिए कप्या पढ़ें पुस्तक ‘‘धरती पर अवतार’’ में सन्त रामपाल दास जी महाराज के विषय में अनेकानेक भविष्यलेख जो आज सत्य सिद्ध हो रहे हैं। परमेश्वर कबीर जी ने कहा था कि ‘‘पथ्वी और आकाश टल सकते हैं, सूर्य का अटल सिद्धांत है उदय-अस्त, वो भी निरस्त हो सकता है, लेकिन मेरी बातें कभी झूठी नहीं हो सकती। जब कलयुग 5500 वर्ष बीत जाएगा तब एक महापुरूष जगत का उद्धार करने के लिए आएगा। (वर्तमान में सन् 2011 में कलयुग 5519 वर्ष बीत चुका है। विशेष प्रमाण कप्या पढ़ें इसी पुस्तक ‘‘धरती पर अवतार’’ के पष्ठ 37 से 40 पर कि कलयुग का कौन सा वर्ष चल रहा है) उस के आध्यात्मिक ज्ञान के सामने उस समय के सर्व सन्त, महंत निरस्त हो जाऐंगे। सर्व पंथ व धर्म एक होकर सतनाम की साधना करेंगे तथा सर्व मेरी (परमेश्वर कबीर जी की) शरण ग्रहण करेंगे। जो मेरी शरण ग्रहण करेंगे तथा सतनाम (सच्चेनाम) की भक्ति करके सतलोक में चले जाऐंगे तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त करेंगे’’ वर्तमान में वह महापुरूष सन्त रामपाल दास जी महाराज हैं। जो परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी द्वारा पूर्व निरधारित की गई योजना अनुसार भेजे गये हैं। सज्जनों ! यदि आज के करोड़ों मानव परमतत्व के ज्ञाता सन्त रामपाल दास जी महाराज जी के बताए पथानुसार, अपनी जीवन शैली को सुधार लेंगे तो पूरे विश्व मे सद्भावना, आपसी भाई-चारा, दया तथा सद्भक्ति का वातावरण हो जाएगा। वर्तमान का मानव बुद्धिजीवी है इसलिए सन्त के विचारों को अवश्य स्वीकार करेगा तथा धन्य होगा। वह सन्त है जगत् गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज। हे भोले मानव ! कुछ विचार कर ! सन्त रामपाल दास जी महाराज आप के उद्धार के लिए कितना संघर्ष कर रहे हैं। आप किन्हीं स्वार्थियों के द्वारा फैलाई झूठी अफवाहों के कारण उन्हें गालियाँ दे रहे हो, बुरा-भला कह रहे हो पाप के भागी हो रहे हो और अपना अनमोल मानव जीवन नष्ट कर रहे हो। संत रामपाल जी महाराज आप के लिए अमत रूपी आध्यात्मिक ज्ञान की वर्षा कर रहे हैं। जिसे खोजने से भी मानव प्राप्त नहीं कर सकता। परमेश्वर की खोज युगों-2 से चली आ रही है। अधिकतर भक्त समाज इस निर्णय पर पहुँचा है कि परमेश्वर निराकार है। समाधि अभ्यास करने वालों ने बताया है कि परमेश्वर का प्रकाश देखा जाता है। अधिकतर गुरु जन यही बताते हैं कि परमेश्वर निराकार है। जबकि सर्व धर्मों के सद्ग्रन्थ स्पष्ट बता रहे हैं कि परमात्मा साकार है। वह मनुष्य सदश है। ऊपर प्रकाशमान अमर लोक में रहता है। वहां से चलकर यहां आता है। नेक आत्माओं को मिलता है। प्रत्येक धर्म के व्यक्ति तथा गुरुजन अपने-2 सद्ग्रन्थों को सत्य मानते हैं कि परमात्मा की यथार्थ स्थिति तथा प्राप्ति विधि इन पवित्र सद्ग्रन्थों में वर्णित है। फिर यह विरोधाभास किस कारण से है। वास्तविकता क्या है ? वह इस पवित्र पुस्तक ‘‘धरती पर अवतार’’ से स्पष्ट हो जायेगा। इस पुस्तक में बहुत से सन्तों के विचार लिखें हैं। सन्त रामपाल दास जी महाराज के प्रवचनों का भी कुछ अंश लिखा गया है तथा कुछ भविष्यवाणियाँ भी लिखी हैं जो शुभ संदेश देती हैं। जो ‘‘धरती पर अवतार’’ आने वाले एक महापुरूष के विषय में लिखी गई हैं। एक विशेष रहस्यमय अमरवाणी जयगुरु देव पंथ मथुरा के प्रवर्तक कहे जाने वाले सन्त तुलसीदास जी ने 28 अगस्त 1971 को अपने अमत वचनों में कही जो ‘‘शाकाहारी पत्रिका’’ में छपी कि ‘‘उस महापुरूष का जन्म भारतवर्ष के छोटे से गाँव में हो चुका है। वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे बड़ा व्यक्ति बनेगा। वह महापुरूष नया विधान बनाएगा, वह विश्व के सम्पूर्ण देशों पर लागू होगा। उसका एक झण्डा होगा, उसकी एक भाषा होगी।’’ इसके पश्चात् श्री तुलसी दास जी से श्रद्धालुओं ने पूछना चाहा कि वह व्यक्ति जिसका जन्म अपने देश में हो चुका है, वह कहां है उसका पता भी बताओ। तब 7 सितम्बर 1971 को जयगुरुदेव पंथ के मुखिया श्री तुलसी दास जी ने अपने अमत वचनों में फिर कहा कि ‘‘वह अवतार जिसकी लोग प्रतिक्षा कर रहे हैं। आज 7 सितम्बर 1971 को बीस वर्ष का हो चुका है। यदि उसका पता बता दूं तो लोग उसके पीछे पड़ जाऐंगे, समय आने पर सबको अपने आप पता लग जाएगा। सज्जनों जयगुरुदेव पंथ के मुखिया ने तो वर्तमान वाणी तथा भविष्यवाणी दोनों ही कह दी। सन्त रामपाल दास जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को भारतवर्ष के एक छोटे से गांव धनाना, जि. सोनीपत, हरियाणा (भारत देश) में एक जाट किसान परिवार में हुआ। 7 सितम्बर 1971 को 20 वर्ष पूरे करके 8 सितम्बर 1971 को इक्कीसवें वर्ष में कदम रखा। इसलिए वे महापुरूष धरती पर अवतार ‘‘सन्त रामपाल दास जी महाराज’’ हैं। आप जी को शंका होगी कि केवल जन्मतिथी से ही महापुरूष मानना कैसे सम्भव हो सकता है। विस्तत जानकारी के लिए कपा पढ़ें इसी पुस्तक ‘‘धरती पर अवतार’’ में तथा आध्यात्मिक ज्ञान की विशेष जानकारी के लिए पढ़ें पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ जो सतलोक आश्रम बरवाला जि. हिसार, प्रांत-हरियाणा (भारत) में उपलब्ध है। सम्पर्क सूत्र - 9992600801, 9992600802, 9992600803, 9812166044 9812026821 ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• हेमदास झालावाड़ मनोहरथाना ने बताया आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।