हम अपना नववर्ष मनाएं,भारतीय स्वाभिमान जगाएं : अरुणा शर्मा "अंतिमा" बाराँ राजस्थान

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हम अपना नववर्ष मनाएं,भारतीय स्वाभिमान जगाएं : अरुणा शर्मा "अंतिमा" बाराँ राजस्थान
भारतीय नव वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा मनाते है इसके पिछले कई ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक महत्व है। यह त्योहार पौराणिक दिन से जुड़ा हुआ है इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसमें मुख्यतया ब्रह्माजी और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के प्रमुख देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है। आज के दिन को श्री हरि के प्रथम अवतार दिवस के रूप में भी जाना जाता है।इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है। इस कारण से इस तिथि को ‘नवसंवत्सर‘ भी कहते हैं ।भारतीय नव वर्ष मनाने के कई ऐतिहासिक महत्व है जिनकों हम निम्नलिखित कारणों से जान सकते है, जो इस प्रकार हैं - इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की। वरुण अवतार श्री झूलेलाल जयंती,महर्षि गौतम जन्मदिवस,आर्य समाज की स्थापना दिवस तथा युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ। विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माता डॉक्टर हेडगेवार का जन्म दिवस भी इसी दिवस पर हुआ है। नव वर्ष की पुनीत मेला पर हम अपने गौरवशाली प्रश्नों का स्मरण कर सब मिलकर इस मंगल अवसर पर अपने घरों व प्रतिष्ठान पर दीप प्रज्वलित कर भगवा पताका लगाकर नव वर्ष की शुभकामनाएं देकर व दीप दान कर हम अपना नववर्ष मनाएं,भारतीय स्वाभिमान जगाएं।

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