*मनुष्य जीवन का एक ही उद्देश्य है सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना*
March 21, 2022
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न्यूज़ टोंक मार्च 2022 *मनुष्य जीवन का एक ही उद्देश्य है सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त करना* टोंक जिला कारागार में गूंजी सन्त संत रामपाल जी की अमृतवाणी हेमदास झालावाड़ राजस्थान टोंक जिले के जिला कारागार (जेल) में संत रामपाल जी महाराज का सत्संग हुआ। सन्त जी ने बताया कि मानव जीवन का प्राथमिक उद्देश्य परमेश्वर को प्राप्त करना और मोक्ष प्राप्त करना है। केवल एक सच्चे गुरु में ही यह गुण होता है जिससे वह अपने भक्तों का उद्धार कर सकता है। इसलिए सभी को सच्चे गुरु की जरूरत होती है। लोगों के जीवन में बहुत सारे कष्ट होते हैं और वे हमेशा उनसे बाहर आने की इच्छा रखते हैं। सभी दुखों से मुक्ति पाने का एक ही उपाय है कि सच्चे तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर सच्ची उपासना की जाए। पूर्ण संत/सच्चा गुरु भक्तों को पर्याप्त लाभ प्रदान करता है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। सभी संतों व ग्रथों का सार यही है कि पूर्ण गुरु जिसके पास तीनों नाम है और नाम देने का अधिकार भी हो उन सन्त से नाम ले कर जीव को जन्म-मृत्यु रूपी रोग से छुटकारा पाना चाहिए। क्योंकि जगत उद्धारक सतगुरु का उद्देश्य आपको काल की जेल से छुटवा कर अपने मूल मालिक परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) के सतलोक को प्राप्त करवाना है। कविर्देव ने अपनी वाणी में कहा है कि एक जीव को काल साधना से हटा कर पूर्ण गुरू के पास लाकर दीक्षा (उपदेश) दिलाने का पुण्य इतना होता है कि जितना करोड़ गाय-बकरें आदि प्राणियों को कसाई से छुटवाने का होता है। क्योंकि यह अबोध मानव शरीर धारी प्राणी गलत गुरुओं द्वारा बताई गई शास्त्र विरूद्ध साधना से काल के जाल में फंसा रह कर न जाने कितने दुःखदाई चैरासी लाख योनियों के कष्ट को झेलता रहता है। जब यह जीवात्मा कविर्देव (कबीर साहेब) की शरण में पूरे गुरू के माध्यम से आ जाती है, नाम से जुड़ जाती है तो फिर इसका जन्म तथा मृत्यु का कष्ट सदा के लिए समाप्त हो जाता है और सतलोक में वास्तविक परम शांति को प्राप्त करता है। जिसे मोक्ष प्राप्त प्राणी कहा जाता हैं। सतगुरु वह अनमोल खजाना है जिसे प्राप्त कर मनुष्य परम धाम, 'शाश्वत' स्थान को प्राप्त कर सकता है। सतगुरु की उपाधि विशेष रूप से एक पूर्ण संत को दी जाती है जिसे 'तत्वदर्शी संत' / 'बखाबर' भी कहा जाता है। तत्वदर्शी संत सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान का ज्ञाता होता है, जिसके जीवन का उद्देश्य दीक्षित आत्माओं को सही पूजा विधि प्रदान करना है जिससे वे शैतान यानी ब्रह्म (काल ) के जाल से मुक्त होकर अपने मूल स्थान पर पहुंचकर परमेश्वर को प्राप्त कर सकें। . जिस भक्ति से नानक जी, दादू जी, रविदास जी, मीरा बाई मुक्ति को प्राप्ति की वही भक्ति आज जगत गुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज अपने अनुयायियों को बता रहे है। इन सभी सन्तो व महापुरुषों की वाणियों में वही प्रमाण मिलता हैं जो आज सन्त रामपाल जी महाराज बता रहे है। लगभग 400 कैदियों ने शांति से सत्संग सुना जिसका प्रभाव यह हुवा की 20 कैदी भाइयो ने सन्त रामपाल जी महाराज से दीक्षा प्राप्त हुई तथा आजीवन मर्यादा का पालन करके भक्ति करने की शपथ ली। सत्संग में उपस्थित जिला सेवादार लेखराम दास व झालावाड़ हेमदास ने यह जानकारी दी

