*(Part 9)*
हेमदास झालावाड़ आवाज पत्रिका
*नाम (दीक्षा) लेने वाले व्यक्तियों के लिए आवश्यक जानकारी Part -D*
📜मेरे (संत रामपाल दास के) पूज्य गुरूदेव स्वामी राम देवानन्द जी महाराज को सोलह वर्ष की आयु में किसी महात्मा के सत्संग सुनने से वैराग हो गया था। एक दिन वे खेतों में गये हुए थे। पास में ही वन था। वे वन में जाकर किसी मृत जानवर की हड्डियों के पास अपने कपड़े फाड़कर फैंक जाते हैं और स्वयं महात्मा जी के साथ चले जाते हैं।
जब उनकी खोज हुई तो उनके घर वालों ने देखा कि वन में हड्डियों के पास फटे हुए कपड़े पड़े हैं तो उन्होंने सोचा कि किसी जंगली जानवर ने उन्हें खा लिया है। उन कपड़ों तथा हड्डियों को उठा कर घर पर ले आते हैं और अंतिम संस्कार कर देते हैं। उसके बाद तेरहवीं तथा छःमाही करते हैं और फिर श्राद्ध शुरू हो जाते हैं। जब मेरे पूज्य गुरूदेव बहुत वृद्ध हो चुके थे तो वे एक बार घर पर गये। तब उन घर वालों को यह पता चला कि ये जीवित हैं और घर छोड़कर चले गये थे। उन्होंने बताया कि जब ये घर छोड़कर चले गये थे तो इनकी खोज हुई। वन में इनके कपड़े मिले। उनके पास कुछ हड्डियाँ पड़ी थी। तो हमने सोचा कि किसी जंगली जानवर ने इनको खा लिया है और उन कपड़ों तथा हड्डियों को घर पर लाकर अंतिम संस्कार कर दिया।
फिर मैंने (संत रामपाल दास ने) मेरे पूज्य गुरूदेव के छोटे भाई की पत्नी से पूछा कि जब हमारे पूज्य गुरूदेव घर छोड़कर चले गये थे तो तुमने पीछे से क्या किया? उसने बताया कि जब मैं ब्याही आई थी तो उस समय मुझे इनके श्राद्ध निकलते मिले थे। मैं अपने हाथों से इनके लगभग 70 श्राद्ध निकाल चुकी हूँ।
उसने बताया कि जब घर में कोई नुकसान हो जाता था जैसे कि भैंस का दूध न देना, थन में खराबी आ जाना, कोई और नुकसान हो जाना आदि तो हम स्यानों के पास बूझा पड़वाने के लिए जाते थे तो वे कहते थे कि तुम्हारें घर में कोई निःसन्तान (अनमैरिड) मरा हुआ है। तुम्हारे को वह दुःखी कर रहा है। फिर हम उसके कपड़े आदि देते हैं। तब मैंने कहा कि ये तो दुनिया का उद्धार कर रहे हैं। ये किसको दुःख दे रहे थे।
ये तो अब सुख दाता हैं। फिर मैंने (सन्त रामपाल जी महाराज ने) उस वृद्धा से कहा कि अब तो ये आपके सामने हैं, अब तो ये व्यर्थ की साधना जैसे श्राद्ध निकालने बंद कर दो। तब उसने कहा कि यह तो पुरानी रिवाज है, यह कैसे छोड़ दूं? अर्थात् हम अपनी पुरानी रिवाजों में इतने लीन हो चुके हैं कि प्रत्यक्ष प्रमाण होने पर कि वह गलत कर रहे हैं छोड़ नहीं सकते। इससे प्रमाणित होता है कि श्राद्ध निकालना, पितर पूजा करना आदि सब व्यर्थ हैं।
11 बच्चे के जन्म पर शास्त्र विरूद्ध पूजा निषेध:-- बच्चे के जन्म पर कोई छटी आदि नहीं मनानी है। सुतक के कारण प्रतिदिन की तरह करने वाली पूजा, भक्ति, आरती, ज्योति जगाना आदि बंद नहीं करनी है। इसी संदर्भ में एक संक्षिप्त कथा बताता हूँ कि एक व्यक्ति की शादी के दस वर्ष पश्चात् पुत्र हुआ था।
पुत्र की खुशी में उसने बहुत ही खुशी मनाई। बीस-पच्चीस गाँवों को भोजन के लिए आमन्त्रित किया और बहुत ही गाना-बजाना हुआ अर्थात् काफी पैसा खर्च किया। फिर एक वर्ष के बाद उस पुत्रा का देहान्त हो जाता है। फिर वही परिवार टक्कर मार कर रोता है और अपने दुर्भाग्य को कोसता है। इसलिए कबीर साहेब हमें बताते हैं कि:-
कबीर, बेटा जाया खुशी हुई, बहुत बजाये थाल। आना जाना लग रहा, ज्यों कीड़ी का नाल।।
कबीर, पतझड़ आवत देख कर, बन रोवै मन माहिं। ऊंची डाली पात थे, अब पीले हो हो जाहिं।।
कबीर, पात झडंता यूं कहै, सुन भई तरूवर राय। अब के बिछुड़े नहीं मिला, न जाने कहां गिरेंगे जाय।
कबीर, तरूवर कहता पात से, सुनों पात एक बात। यहाँ की याहे रीति है, एक आवत एक जात।।
12 देई धाम पर बाल उतरवाने जाना निषेध:-- बच्चे के किसी देई धाम पर बाल उतरवाने नहीं जाना है। जब देखो बाल बड़े हो गए, कटवा कर फैंक दो। एक मन्दिर में देखा कि श्रद्धालु भक्त अपने लड़के या लड़कियों के बाल उतरवाने आए। वहाँ पर उपस्थित नाई ने बाहर के रेट से तीन गुना पैसे लीये और एक कैंची भर बाल काट कर मात-पिता को दे दिए। उन्होंने श्रद्धा से मन्दिर में चढ़ाए।
पुजारी ने एक थैले में डाल लिए। रात्राी को उठा कर दूर एकांत स्थान पर फैंक दिए। यह केवल नाटक बाजी है। क्यों न पहले की तरह स्वाभाविक तरीके से बाल उतरवाते रहें तथा बाहर डाल दें।
परमात्मा नाम से प्रसन्न होता है पाखण्ड से नहीं।
13 नाम जाप से सुख:-- नाम (उपदेश) को केवल दुःख निवारण की दृष्टि कोण से नहीं लेना चाहिए बल्कि आत्म कल्याण के लिए लेना चाहिए। फिर सुमिरण से सर्व सुख अपने आप आ जाते हैं।
‘‘कबीर, सुमिरण से सुख होत है, सुमिरण से दुःख जाए। कहैं कबीर सुमिरण किए, सांई माहिं समाय।।‘‘
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
हेमदास झालावाड़ ने बताया
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।