लड़की हूं और लड़की से शादी कर ली तो क्या हो गया?'
दोनों ने अगर शादी की है तो क्या किसी लड़के से की है?
क्यों हमसे लोग नाराज़ हैं? लड़की-लड़की ने ही तो की है (फिर गाली देते हुए) इससे गांव वालों को क्या दिक्कत है.
ये कहकर प्रिया (बदला हुआ नाम) मुझसे पूछती हैं आप क्या हमारी मदद करोगे?
मैंने ठहर कर कहा कि तुम्हारी शादी ही वैध नहीं है प्रिया.
फ़ोन पर कुछ सेकेंड के लिए चुप्पी पसरगई फिर उसने मुझसे कई सवाल करने के बाद कहा कि हमने प्यार क्या किया ज़िंदगी ही बर्बाद हो गई.
प्रिया, लता (बदला हुआ नाम) से प्यार करती हैं. जो उनके गांव से थोड़े ही दूर रहती हैं.
प्रिया बेलदारी या मनरेगा कार्यक्रम के तहत जो काम मिल जाता है उसी से अपना ख़र्चा चलाती हैं. प्रिया के माता-पिता का निधन हो गया है और वह अपने भाइयों, भाभियों और बहन के साथ रहती हैं.
प्रिया कहती है, ''मुझे उससे पहली नज़र में प्यार हो गया था. हम पहली कक्षा से साथ पढ़े हैं. स्कूल में भी जब उसे कोई लड़का या लड़की तंग करता तो मैं लड़ जाया करता.''
प्रिया बातचीत में अपने आप को लड़कों की तरह संबोधित करती हैं. दोनों से बातचीत में प्रिया जितनी दबंग लगती हैं लता उतनी ही सहमी नज़र आती हैं.
लता फ़ोन पर बड़ी दबी ज़ुबान में बात करते हुए मुझसे कहती हैं कि मेरे आस-पास घर वाले हैं, मैं खुलकर बात नहीं कर सकती.
'बचपन से हमें प्यार है'
वह बताती हैं, ''प्यार तो हम में पहली कक्षा से था लेकिन सातवीं से जब हमारी समझ बननी शुरू हुई तो हम एक दूसरे के लिए एक अलग प्यार महसूस करने लगे. स्कूल में साथ रहना, आस-पास या बाज़ार साथ में जाना. प्रिया आठवीं से बेलदारी का काम भी कभी-कभी करती तो उन पैसों से मेरे लिए कपड़े, कॉपी और मिठाई लेकर आती थी.''
''वह कहीं भी अगर जाती तो मुझे हमेशा अपने साथ लेकर जाती थी. हमसे दूर रहा नहीं जाता था. जितने हम दूर रहते थे उतना ही और मिलने का दिल करता था. किसी को हमारे प्यार की कोई भनक नहीं थी. हम स्कूल के बाद भी रोज़ मिलते थे.''
प्रिया बताती हैं कि आठवीं तक सब ठीक चल रहा था लेकिन आठवीं के बाद अलग-अलग स्कूल में दाख़िला हो गया.
एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता
इस बीच प्रिया, लता से नाराज़ हो गई कि उसने उसी के स्कूल में मां-पिता को दाख़िले के लिए क्यों नहीं कहा. बीच में कुछ दिन के लिए बात भी बंद हुई और इसी बीच प्रिया के मुताबिक एक लड़का लता को छेड़ने लगा. प्रिया को इस बारे में पता चला और शिकायत की लेकिन इसमें लता पर उलटे आरोप लगा दिए गए और चरित्र पर सवाल उठाया गया.
इधर लता की शादी की बात भी घर में होने लगी.
दोनों अलग-अलग स्कूल में दो साल पढ़े मगर लता दसवीं में फेल हो गईं. प्रिया बताती हैं कि इस दौरान हमारी लड़ाई ज़्यादा होती थी, लेकिन फिर उसने घरवालों को मनाया और लता को आगे पढ़ाने को कहा.
प्रिया ने लता का 10वीं में दाख़िला कराया और ख़ुद 12वीं में उसी स्कूल में दाख़िला लिया. लेकिन दसवीं के बाद प्रिया ने लता को आगे पढ़ने नहीं दिया. उसका कहना था कि माहौल ठीक नहीं था. मैं उसके लिए किस-किस से लड़ता.
लता का कहना था, ''घर में उसकी शादी की बातें तेज़ होने लगी थीं. मैंने इस बारे में प्रिया को भी बताया. इसके बाद हमने शादी करने का फ़ैसला लिया. मुझे किसी प्रकार का कोई डर नहीं था. वह जो कहेगी मैं वो करने को तैयार हूं.''
जब घर वालों को पता चला
लता बताती है, ''मैंने घर के ही कपड़े, सलवार-कमीज़ पहने और उसने पेंट शर्ट पहना था. हमने मंदिर में शादी कर ली लेकिन घर में कुछ नहीं बताया. और अपने-अपने घर लौट आए.''
आगे बताते हुए प्रिया कहती हैं कि पता नहीं कहां से अख़बार में ये ख़बर छपी और पूरे गांव में ये बात फैल गई.
लता के अनुसार, 'जब घरवालों को पता चला वो काफ़ी नाराज़ हुए. मम्मी से लड़ाई भी हुई. उनका कहना था लड़की-लड़की की शादी थोड़े न होती है, उसने (प्रिया) इस पर कुछ करा दिया है. इसका दिमाग़ ख़राब हो गया है.'
प्रिया के घर में भी यही सवाल पूछा गया कि क्या लड़की-लड़की के बीच में शादी होती है? वो कहती हैं कि इसके तीन दिन बाद घर में पुलिस आ गई और मेरे जो दस भाई-बहन हैं वे लोग ऐसा कर रहे थे जैसे पता नहीं क्या हो गया है फिर पुलिस की ओर से भी मुझे समझाया गया.
लता बताती हैं कि उन्हें डर लग रहा था. इसके बाद प्रिया ने पूछताछ की और एक वकील की मदद से कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटखटाया. इसका सारा ख़र्च प्रिया ने ख़ुद